संघमित्ता दिवस 29 दिसंबर 2020

संघमित्ता दिवस
अगहन पूर्णिमा
तदनुसार 29दिसम्बर 2020.
महाथेरी संघमित्ता (281 BC - 202 BC )
जन्म -- विदिशा ।
परिनिर्वाण -- अनुराधपुर ।
मगध साम्राज्य के राजा बिन्दुसार ने अपने पुत्र अशोक को उज्जैनी का उपराज नियुक्त किया । उज्जैनी के मार्ग में उपराज अशोक कुछ दिनों के लिए विदिशा में रुके जहाँ श्र्ष्ठी-पुत्री ' देवी ' से मुलाकात हुई । देवी बुद्ध-धम्म-संघ के प्रति सम्पूर्ण रूप से समर्पित थी । कुमार अशोक ने उनके रूप-गुण और शील-स्वभाव से प्रभावित होकर उनसे विवाह कर लिया । उनदोनों से पुत्र कुमार महेन्द्र और पुत्री संघमित्रा का जन्म हुआ ।
  राजा बिन्दुसार के दिवंगत होने पर अशोक मगध साम्राज्य के सिंहासन पर विराजमान हुए ।
देवानांपिय पियदस्सी राजा असोक ने अपने शासनकाल में बौद्ध धम्म की तीसरी संगीति का आयोजन किया ।
संगीति की समाप्ति पर अपने गुरु की इच्छा से उन्होंने कुमार महेन्द्र और कुमारी संघमित्ता से कहा -- प्रव्रज्या लोगे ? प्रव्रज्या बहुत अच्छी है ।
महेन्द्र और संघमित्रा ने खुशी-खुशी प्रव्रज्या ग्रहण की ।
संघ के आदेश से थेर महिन्द (महेन्द्र ) धम्म के प्रचार-प्रसार के लिए सिंहलद्वीप ( आज का श्रीलंका ) गए । सिंहलद्वीप के राजा देवानांपिय तिस्स और वहाँ की जनता ने बुद्ध-धम्म-संघ की शरण ग्रहण की । बहुत से श्रद्धालु भिक्खु बनकर संघ में शामिल हुए । स्त्रियाँ भी भिक्खुणी बनकर संघ में शामिल होना चाहती थीं । रानी अनुला, राजा तिस्स तथा अन्य अनेक स्त्रियों के आग्रह पर थेर महिन्द ने राजा अशोक के पास संदेश भेजा कि किसी भिक्खुणी को सिंहलद्वीप भेजा जाए और साथ में पावन बोधिवृक्ष की शाखा भी भेजी जाए ।
पियदस्सी राजा अशोक ने थेरी संघमित्ता को थेर महिन्द का संदेश सुना दिया ।
थेरी संघमित्ता पाटलिपुत्त से जलमार्ग से सिंहलद्वीप के लिए बोधिवृक्ष की पावन शाखा के साथ रवाना हुईं ।
सिंहलद्वीप के लिए प्रस्थान करने के पूर्व विदिशा जाकर अपनी मा देवी से सदा के लिए विदा लिया ।
 सिंहलद्वीप के अनुराधपुर में महाथेरी संघमित्ता ने अगहन पूर्णिमा के दिन ही अपने हाथों बोधिवृक्ष को रोपा जो आज भी जीवित है और बुद्ध-धम्म-संघ की ऊँची ध्वजा को हिन्द महासागर में फहरा रहा है साथ-साथ पाटलिपुत्त, मगध, अशोक और भारत की कीर्ति सम्पूर्ण विश्व में फैला रहा है ।
 महाथेरी संघमित्ता ने सिंहलद्वीप में अपने देश के बाहर पहली बार भिक्खुणी-संघ की ठोस बुनियाद रखी जिसपर बर्मा, तिब्बत, चीन, थाईलैण्ड होते हुए सम्पूर्ण विश्व में ही भिक्खुणी-संघ का विशाल भवन खड़ा हुआ जिसमें सम्पूर्ण विश्व की नारियाँ ज्ञान, गौरव, सम्मान, मुक्ति और शांति की शीतल छाया पाती हैं । भंते दीप रतन

Comments

Popular posts from this blog

Bhikkhuni Sanghamitta theri story

The Four Noble.

8th January: Buddhist Flag Day and The Origin and Meaning of the Buddhist Flag.